नई गाथा: यदि आप अप्रैल 2024 के बाद पहली बार कोई गाथा करते हैं, तो ही इसे नई गाथा के रूप में माना जाएगा।
रीविजन: यदि आप 1 अप्रैल 2024 से 31 मार्च 2025 के बीच किसी भी गाथा का रीविजन करते है तो उसे रीविजन की गयी गाथा माना जाएगा। 1 मई से पहले तैयार की गयी गाथा को भी रीविजन के लिए शामिल कर सकते है। गाथा बार-बार रीविजन करते रहने पर भी, गिनना केवल एक ही बार है, हर रीविजन को अलग से नहीं गिनना है।
जब आप किसी सूत्र का रीविजन करते हैं, तो इसे केवल एक गाथा के रूप में गिना जाएगा।
उदाहरण: यदि आपने वंदित्तु सूत्र का एक बार रीविजन कर लिया है, और उसी का फिर से रीविजन करते है तो अतिरिक्त रीविजन के लिए गाथा को फिर से नहीं गिना जाएगा। अनेक बार रीविजन पर भी गाथा को एक ही बार गिनना है।
नई गाथा: हर गाथा को एक गाथा के रूप में गिना जाएगा।
वंदित्तु को छोड़कर रीविजन: प्रत्येक 10 सूत्रों के रीविजन पर इसे एक गाथा के रूप में गिना जाएगा।
वंदित्तु का रीविजन: प्रत्येक 10 गाथाओं के रीविजन पर इसे एक गाथा के रूप में गिना जाएगा।
नोट: वंदित्तु के लिए गिनती का नियम अन्य रीविजन से अलग होता है।
नई गाथा (अतिचार को छोड़कर): प्रत्येक अलग गाथा को एक गाथा के रूप में गिना जाता है।
अतिचार: हर एक स्थूल व्रत को चार गाथा के रूप में गिना जायेगा।
रीविजन (अतिचार को छोड़कर): प्रत्येक 10 गाथाओं के रीविजन को, एक गाथा के रूप में गिना जायेगा।
अतिचार के लिए रिवीजन: हर एक स्थूल व्रत के रीविजन को एक गाथा के रूप में गिना जायेगा।
नोट: अतिचार के लिए गिनती का नियम किसी अन्य गाथा के रीविजन और नई गाथा की गिनती से अलग है।
नई गाथा: एक स्थूल व्रत = चार गाथा
रीविजन: एक स्थूल व्रत = एक गाथा
अतिचार में कुल 20 गाथायें हैं:
नई गाथा: 20 x 4 = 80
रीविजन गाथा: 20 x 1 = 20
नई गाथा: एक गाथा = एक गाथा
रीविजन: 10 गाथा रीविजन को एक गाथा ही माना जाएगा
वंदित्तु को छोड़कर दूसरे 2 प्रतिक्रमण सूत्रों के रीविजन की गिनती के लिए 10 सूत्र = एक गाथा
नई गाथा: एक गाथा = एक गाथा
रीविजन: 10 गाथा = एक गाथा
नई गाथा: एक गाथा = एक गाथा
रीविजन: 10 गाथा = एक गाथा
नई गाथा: एक गाथा = एक गाथा
रीविजन: 10 गाथा = एक गाथा
नई गाथा: कुल 100 गाथा
1 – 5 अध्याय = 50 गाथा
6 – 10 अध्याय = 50 गाथा
रीविजन: 10 गाथा = एक गाथा
नई गाथा: कुल 25 गाथा
नई गाथा: कुल 15 गाथा
नई गाथा: कुल 25 गाथा
64 प्रकारी (वीर विजय मा.सा.), 17 भेदी (आत्मारामजी मा.सा.), पंचकल्याणक (वीरविजय मा.सा.), नवपदजी (पद्मविजय मा.सा.), 45 आगम (वीरविजय मा.सा.), वास्तुपूजा (बुद्धिसागर मा.सा.), 12 व्रतपूजा (वीरविजय मा.सा.), 20 स्थानक (विजय लक्ष्मीसुरि मा.सा.), अष्टापद (दीपविजय मा.सा.), नवानुप्रकार्णी शत्रुंजय और गिरनार (वीरविजय मा.सा.)
नई गाथा: एक गाथा = एक गाथा; श्लोक धड़ चार गाथा = एक गाथा
नोट: रीविजन गिने नहीं जाएंगे।
वीतराग सूत्र, सम्बोथशात्री, वैराग्यशतक, इंद्रियपराजयशतक, सिंदूर प्रकरण संथारा पोरर्शी, शत्रुंजय लघुकल्प, ज्ञानसार, योगसार, हृदयपंजिका, शांतसुधार, प्रशाम्रति, योगशास्त्र, योगविंशिका, हृदयप्रदीप, पंचसंग्रह (भाग 1, 2), बृहत्संग्रहणी, लघुक्षेत्रसमास, उपदेशमाला, आत्मरक्षा सूत्र, अध्यात्मकल्पद्रुम, ऋषिमंडल और जय तिहुँसूत्र (3 आयंबिल के साथ)
नई गाथा: एक गाथा = एक गाथा
रीविजन: दस गाथा = एक गाथा
नई गाथा: कुल 25 गाथा
नई गाथा: हर 4 गाथा को 1 गाथा के रूप में गिना जाएगा।
विशेष स्तवनों का रीविजन: 27 भाव स्तवन, हालरडु, पंचकल्याणक स्तवन और संकित 67 बोल सज्जाय का रीविजन करने पर, हर 10 गाथा को एक गाथा के रूप में गिना जाएगा।
अन्य रीविजन नहीं: स्तवन, स्तुति या सज्झाय के किसी अन्य रीविजन को नहीं गिना जाएगा।
केवल 2 प्रतिक्रमण सूत्र
वंदित्तु सूत्र अर्थ: पूरे वंदितु सूत्र की गाथाओं के अर्थ को पाँच गाथाओं के रूप में गिना जाएगा।
लघुशांति अर्थ: पूरी लघुशांति की गाथाओं के अर्थ को तीन गाथाओं के रूप में गिना जाएगा।
अन्य 2 प्रतिक्रमण सूत्र: बाकी के दो प्रतिक्रमण सूत्रों में हर एक सूत्र के अर्थ को एक गाथा के रूप में गिना जाएगा।
नोट: अर्थ के लिए रीविजन गिने नहीं जाएंगे।
गुरुवंदन विधि - एक गाथा
चैत्यवंदन विधि - दो गाथा
गाथा सामायिक लेवणी और पड़वणी विधि - चार गाथा
देव वंदन विधि - तीन गाथा
देवसिया और राइय प्रतिक्रमण विधि - आठ गाथा (4 + 4)
पाखी, चौमासी और संवत्सरी विधि - सब मिलाकर आठ गाथा
पौषध लेवणु, पारवाणु, पड्ढिलेहन, राइय मुहपत्ति, मांडला, संथारा पोरसि विधि - सब मिलाकर 15 गाथा
छात्र को विधि के अनुसार गुरु को सूत्र देना होता है, जिस पर गुरु गाथा देंगे। गुरु के पास इसके लिए परीक्षा लेने का अधिकार होता है।
नोट: विधि के लिए किए गए रीविजन गिने नहीं जाएंगे।
संस्कृत पाठ के लिए:
पुस्तक 1:
1 से 32 पाठ - प्रति पाठ दो गाथा; 33 से 51 पाठ – प्रति पाठ तीन गाथा
पुस्तक 2
1 से 17 पाठ - प्रति पाठ चार गाथा; 18 से 36 पाठ – प्रति पाठ पाँच गाथा
प्राकृत पाठ के लिए
1 से 15 पाठ - प्रति पाठ तीन गाथा
16 से 25 पाठ – प्रति पाठ पाँच गाथा
उपस्थिति की गणना केवल ऑफ़लाइन पाठशाला के लिए की जाएगी। ऑनलाइन पाठशाला में उपस्थिति पर विचार नहीं किया जाएगा।
ऑनलाइन पाठशाला में गाथा करने पर गाथा का पोइंट मिलेगा, पाठशाल का कोई पोइंट नहीं मिलेगा।
1 उपस्थिति के लिए न्यूनतम 30 मिनट की उपस्थिति अनिवार्य है।
आपात्कालीन स्थिति या परीक्षा के दिनों में, पाठशाला शिक्षक की मंजूरी से 15 मिनट की उपस्थिति की अनुमति दी जा सकती है।
चौदस: प्रतिक्रमण करें, 1 उपस्थिति प्राप्त करें, और अगले दिन गुरुजी के हस्ताक्षर प्राप्त करें।
चौदस के प्रतिक्रमण के अलावा किसी अन्य प्रतिक्रमण की उपस्थिति नहीं गिनी जायेगी। यदि आप चौदस प्रतिक्रमण करते हैं और पाठशाला भी जाते हैं, तो उपस्थिति केवल 1 के रूप में गिनी जाएगी - एक दिन एक उपस्थिति।
पर्यूषण के दौरान, यदि पाठशाला बंद है और आप देवसिया या चौदस प्रतिक्रमण का करते हैं, तो प्रत्येक दिन प्रतिक्रमण (राय प्रतिक्रमण को छोड़कर) के लिए 1 उपस्थिति के लिए पात्र होंगे। पाठशाला शुरू होने पर उन्हें गुरुजी के हस्ताक्षर लेने होंगे।
उपस्थिति केवल पर्यूषण के 8 दिनों की ही गिनी जाएगी। यदि पाठशाला अतिरिक्त दिनों के लिए बंद रहती है, तो उन दिनों की उपस्थिति की गणना नहीं की जाएगी।
यदि आप अपने संघ की पाठशाला में संस्कार वाटिका आदि सत्रों में भाग लेते हैं, लेकिन उस दिन नियमित पाठशाला में भाग लेने में असमर्थ हैं, तो आपको उस दिन के लिए 1 उपस्थिति प्राप्त होगी।
आप कहीं भी पाठशाला में भाग ले सकते हैं जहां यह योजना लागू होती है।
उपधान करते हैं, तो इसे 1 दिन की 1 उपस्थिति के रूप में गिना जाएगा। 47 दिन, 35 दिन, या 28 दिन के उपधान में प्रतिदिन की 1 उपस्थिति गिनी जाएगी।
यदि आप साहेबजी के साथ एक सप्ताह या उससे अधिक (एक सप्ताह से कम नहीं) रहते हैं, तो आप प्रति दिन 1 उपस्थिति के पात्र होंगे
छात्र को कम से कम आधे घंटे का स्वाध्याय करना होगा और गुरुभगवंत को गाथा देनी होगी और फिर 1 उपस्थिति मिलेगी।
छात्र को कम से कम आधे घंटे का स्वाध्याय करना होगा और गुरुभगवंत को गाथा देनी होगी और फिर 1 उपस्थिति मिलेगी।
छात्र को कम से कम आधे घंटे का स्वाध्याय करना होगा और गुरुभगवंत को गाथा देनी होगी और फिर 1 उपस्थिति मिलेगी।
अगर आप ऑनलाइन पाठशाला जाते है और गाथा करते है तो गाथा का पोइंट और पुरस्कार मिलेगा लेकिन पाठशाला का पोइंट नहीं मिलेगा।
आपके गांव में साधु-साध्वी हैं, आप उनसे 10-15 दिन की एक साथ गाथा ले सकते हैं, फिर घर पर भी वही गाथा सुना सकते हैं।
आपके परिवार या गांव में कोई ऐसा व्यक्ति है जिसे आपसे अधिक धार्मिक ज्ञान है, आप उनसे भी गाथा ले सकते हैं।
हम ऐसे जिलों में गाथा देने के लिए गुरुजी को नियुक्त करने वाले हैं, आप उनसे गाथा प्राप्त कर सकते हैं। इसकी अधिक जानकारी तक आपके पास पहुंच जाएगी